जैविक खेती
हम यह दिखाना चाहते हैं कि कैसे छोटे पैमाने पर जैविक खेती स्वस्थ और हरे पौधों में योगदान दे सकती है , भारत में बहुत सारा ज्ञान और क्षमता है , पारम्परिक तरीकों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए नवीन विचारों के साथ जोड़ा जा सकता है।
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महिलाओं के लिए कार्यस्थल उपलब्ध कराना।
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होमस्टे के लिए स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराना।
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हर्बल चाय और इको उत्पादों का उत्पादन और प्रसंस्करण।
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एक एकड़ भूमि पर मधुमखी पालन के साथ (खाद्य ) वन एवं जैव विविधता अभ्यारण्य का संयोजन।
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स्थानीय परम्पराओं के साथ पर्माकल्चर तकनीकों का संयोजन, सभी जीवन के लिए प्राकृतिक परिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।
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वर्षा जल संचयन और गंदे पानी का स्वच्छिकरण एवं पुनः उपयोग सूखे से बचने में मदद करेगा।
शहरी विकास के युग में, हमारा लक्ष्य लोगों को भूमि के महत्व का पुनः ध्यान दिलाना है। फलते -फूलते बगीचे हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। अदारा का बगीचा हमारे बड़े एजेंडे के लिए एक उदाहरण है : जागरूकता बढ़ना और शहरों के हरे और जीवंत होने की सम्भावना पर चर्चा करना, छोटे पैमाने पर जैविक खेती जलवायु परिवर्तन को काम करने में भी मदद कर सकती है।
गुणवत्त्ता की शिक्षा
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हम युवाओं को जो शिक्षा प्रदान करते हैं वह उस शिक्षा की पूरक है जो स्थानीय स्तर पर पहले से ही उपलब्ध है। भारतीय स्कूल प्रणाली निष्क्रिय बौद्धक शिक्षा पर केंद्रित है। हमारा मानना है कि इंटरैक्टिव शिक्षा भी मूल्यवान है। इसलिए हमारा लक्ष्य ऐसे शिक्षाप्रद कार्यक्रम पेश करना है जो कौशल , ज्ञान और अनुभव को जोड़ते हों।
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हम वंचित बच्चों के छोटे समूह को प्रतिदिन ट्यूशन देतें हैं। हम अंग्रेजी , गणित , आउटडोर खेल , अपशिष्ट जागरूकता , कला , संगीत , योग सिखाते हैं।
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हमारा उद्श्य छात्रों को सीखने में संलगन करना है , लकड़ी का काम / सिलाई करना छात्र कि शिक्षा का एक हिस्सा बन सकता है।
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व्यक्तिगत दृष्टि कोण बहुत महत्वपूर्ण है, हर किसी में अलग-अलग प्रतिभा होती है। जितना अधिक हम अपनी प्रतिभाओं को जानेंगे, उतना अधिक हम अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकेंगे।
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भविष्य में, हमारा लक्ष्य ऐसे कई योजनाओं की पेशकश करना है जो व्यक्तिगत और सामुदायिक विकास का समर्थन करते हैं , जैसे: लकड़ी का काम , होमस्टे चलाना, सिलाई, अंग्रेजी संचार, खेती, मिट्टी के बर्तन बनाना इत्यादी। ये योजनाएं स्थानीय समुदाय के सदस्यों के लिए हैं जो अदारा में कार्य-विकास-सिखने का स्थान प्राप्त करना चाहते हैं। इस तरह, उदेश्य खोजना और आजीविका प्राप्त करना संयुक्त हो जाता है।
महिला सशक्तिकरण
महिलाओं को सशक्त बनाना एक सम्मान की बात है , क्योंकि हम अपने समुदायों को बदलने की उनकी क्षमता देखते हैं। उन्हें बस कुछ दृष्टि, आत्मविश्वास, कौशल और उपकरणों की आवश्यकता है। वे सक्षम नेताओं के रूप में विकसित होते हैं।
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हमारी सिलाई और बेकरी योजनाएं युवा वयस्क महिलाओं के समूह के लिए रोजगार और कौशल विकास सुनिश्चित करती है।
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हम उनके भविष्य को संवारने वाली मानसिकता विकसित करने के लिए उद्यमशील प्रशिक्षण करते हैं।
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होमस्टे और फार्म महिलाओं के लिए कई कार्य-विकास वाली जगह प्रदान करते हैं।
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हमारा लक्ष्य विभिन संगठनों के साथ सहयोग करना और महिलाओं के लिए अपने प्रभाव का विस्तार करना है।
हरित आजीविका
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जैसे-जैसे उपभोग प्रतिरूप बढ़ता है, अपशिष्ट वैश्विक और स्थानीय स्तर पर चुनौती बन जाती है। भारत के लिए भी यही सच है। कई स्थानों पर अपशिष्ट कटौती, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां कचरे को खुले में फेंकने और खुले में कचरा जलाने की संस्कृति है। दोनों पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। अदारा हिमालय क्षेत्र में हरित और समृद्ध जीवन के लिए एक स्वरूप के रूप में कार्य करता है।
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अपने खेत पर हम पहले ही 900 लीटर कचरा एकत्र कर चुके हैं।
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हम गीले कचरे (खाद्य और उद्यान अपशिष्ट) को सूखे कचरे (प्लास्टिक जैसे) से अलग करते हैं , गीले कचरे का उपयोग हमारे कंपोजिट सिस्टम में किया जाता है , जिससे खेत को लाभ होता है।
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हम जहाँ सम्भव हो सके कचरे का पुनः उपयोग करते हैं। हम प्लास्टिक की बोतलों को मसालों के लिए उपयोग करते हैं और कांच के जार आदि में अंकुर उगाते हैं।
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गृह राज्य के स्थानीय लोगों के लिए सभी खाद्य पदार्थों का उपयोग छोटी पैकेजिंग वाली वस्तुओं में किया जा सकता है। फार्म इस जीवनशैली का समर्थन करता है ।
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हमें सोलर सिस्टम लगाना होगा और जल संचयन करना होगा।
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हम 'हरित आजीविका' के कार्यक्रम को पौड़ी के अंदर भी बढ़ाना चाहते हैं। इंटेरेक्टिव शिक्षा (युवाओं के लिए) कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू होगा। इस तरह हम अगली पीढ़ी को सचेत परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित और सशक्त बनाते हैं। हम साफ-सफाई का आयोजन करना चाहते हैं , हरित और स्वच्छ क्षेत्रों को आवंटित करना चाहते हैं और जलाने या डंप करने के बजाय वाट्स पिक-अप करना चाहते हैं।